आज भाद्रपद शुक्ल षष्ठी है, जिसे बलराम जयंती के रूप में मनाया जा रहा है। भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी की जयंती पर पूरे भारत में भक्तजन व्रत, पूजा और उत्सव के साथ जश्न मना रहे हैं। अगर आप भी जीवन में मजबूती और सुरक्षा की तलाश में हैं, तो यह दिन आपके लिए खास है। बलराम जी को शक्ति का प्रतीक माना जाता है, जो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हमें साहस और संरक्षण प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं इस पर्व की पूरी जानकारी, महत्व, पूजा विधि और कैसे मनाएं इसे।
बलराम जयंती 2025 की तिथि और मुहूर्त
इस साल बलराम जयंती 29 अगस्त 2025 को शुक्रवार के दिन पड़ रही है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल षष्ठी तिथि 28 अगस्त 2025 को दोपहर 02:26 बजे से शुरू होकर 29 अगस्त 2025 को शाम 04:51 बजे तक रहेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:18 बजे से दोपहर 03:04 बजे तक है, जो लगभग 2 घंटे 46 मिनट का है। इस समय में पूजा करने से विशेष फल मिलता है।
बलराम जयंती का महत्व: शक्ति और भाईचारे का संदेश
बलराम जयंती भगवान विष्णु के आठवें अवतार बलराम जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। वे भगवान कृष्ण के बड़े भाई हैं और आदि शेषनाग के अवतार माने जाते हैं, जिन पर भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। बलराम जी को बलदेव, बालभद्र और हलायुध के नाम से भी जाना जाता है। वे कुश्ती और गदा युद्ध के विशेषज्ञ थे, जो शारीरिक और मानसिक शक्ति का प्रतीक हैं।
यह पर्व विशेष रूप से ब्रज क्षेत्र में महत्वपूर्ण है, जहां बलराम जी को ब्रज के राजा के रूप में पूजा जाता है। आज के दौर में, जब लोग तनाव और असुरक्षा से घिरे हैं, बलराम जयंती हमें सिखाती है कि कैसे परिवार और भाईचारा हमें मजबूत बनाता है। गुजरात में इसे बलदेव छठ या बालभद्र जयंती के नाम से जाना जाता है, जो कृषि और सुरक्षा से जुड़ा है। भक्तों का मानना है कि इस दिन व्रत रखने से पापों का नाश होता है और शक्ति प्राप्त होती है।
पूजा विधि: सरल तरीके से मनाएं जयंती
बलराम जयंती की पूजा विधि सरल लेकिन प्रभावशाली है। यहां स्टेप-बाय-स्टेप गाइड है:
1. सुबह उठकर स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठें और पवित्र स्नान करें।
2. व्रत संकल्प: अगर संभव हो, तो उपवास रखें। दूध, फल और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
3. पूजा स्थल तैयार: घर के मंदिर में बलराम जी और कृष्ण जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। सफेद फूल, चंदन और हल्दी से सजाएं।
4. अभिषेक: बलराम जी का दूध, दही और घी से अभिषेक करें। उन्हें सुंदर वस्त्र, रत्न, हीरे और सोने के आभूषण चढ़ाएं।
5. मंत्र जाप: "ओम बलरामाय नमः" या "ओम बालभद्राय नमः" का जाप करें।
6. आरती और भोग: आरती गाएं और छप्पन भोग (56 प्रकार के व्यंजन) चढ़ाएं, विशेष रूप से दहीकांडो (दही, मक्खन, हल्दी और केसर का मिश्रण)।
7. दान: फल, खिलौने, कपड़े और धन का दान करें।
इस पूजा से आध्यात्मिक लाभ मिलता है, जैसे पापों से मुक्ति और शारीरिक बल में वृद्धि।
भारत में कैसे मनाई जाती है बलराम जयंती
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में बालदेव शहर के श्री दाऊजी महाराज मंदिर में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। यहां विशेष अभिषेक, शहनाई वादन और दधिकांडो उत्सव होता है, जहां दही-मक्खन का मिश्रण भक्तों पर छिड़का जाता है। देवछठ मेला लगता है, जिसमें रागिनी गायन, कुश्ती-दंगल और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। मेला झंडा रोहण से शुरू होकर काली लीला और देवताओं की जीवन गाथाओं पर आधारित झांकियों की शोभायात्रा से समाप्त होता है।
वृंदावन के श्री कृष्ण बलराम मंदिर (ISKCON) में भी अभिषेक और छप्पन भोग लगाया जाता है। ISKCON द्वारा संचालित गौशालाओं में पशुओं, विशेषकर बैलों की पूजा की जाती है। गुजरात और अन्य क्षेत्रों में मोर छठ के रूप में मनाया जाता है।
आधुनिक जीवन में बलराम जयंती का संदेश
आज की व्यस्त जिंदगी में बलराम जयंती हमें याद दिलाती है कि शक्ति सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और पारिवारिक बंधनों से आती है। कृष्ण-बलराम की जोड़ी जैसे भाईचारे का उदाहरण दें, वैसे ही हम भी अपनों की रक्षा करें। यह पर्व किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बलराम जी हलधर (कृषि के देवता) हैं।
अगर आप बलराम जयंती 2025 पर विशेष पूजा करना चाहते हैं, तो निकटतम मंदिर जाएं या घर पर ही मनाएं। इस दिन का आशीर्वाद आपके जीवन को मजबूत बनाएगा। जय बलराम!