आज का दिन हिंदू परिवारों के लिए विशेष खुशियां लेकर आया है! ज्येष्ठा गौरी पूजा का पावन पर्व मनाया जा रहा है, जहां मां गौरी की आराधना से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना की जाती है। खासकर महाराष्ट्र और भारत के अन्य हिस्सों में महिलाएं इस त्योहार को बड़े उत्साह से मनाती हैं, क्योंकि यह परिवार की एकता और खुशहाली का प्रतीक है। अगर आप भी अपने घर में मां की कृपा चाहते हैं, तो आइए जानते हैं इस पूजा का महत्व, शुभ मुहूर्त और विधि-विधान।
ज्येष्ठा गौरी पूजा का महत्व: परिवार की खुशहाली का राज
ज्येष्ठा गौरी पूजा मां पार्वती के गौरी स्वरूप को समर्पित है, जिन्हें महालक्ष्मी का रूप भी माना जाता है। इस पूजा से वैवाहिक जीवन में सुख, संतान प्राप्ति, धन-धान्य की वृद्धि और परिवार में सद्भावना आती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां गौरी की पूजा से सभी कष्ट दूर होते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। खासकर विवाहित महिलाएं इस व्रत को रखती हैं, ताकि उनके पति की लंबी उम्र और घर की समृद्धि बनी रहे। यह त्योहार गणेश चतुर्थी के साथ जुड़ा हुआ है, जहां गणपति बप्पा के साथ मां गौरी की पूजा की जाती है। आज के व्यस्त जीवन में यह पूजा हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है और परिवार को एकजुट करती है – क्या आप भी तैयार हैं इस परंपरा को निभाने के लिए?
ज्येष्ठा गौरी पूजा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
साल 2025 में ज्येष्ठा गौरी पूजा का आरंभ 31 अगस्त (रविवार) को आवाहन से हुआ, आज 1 सितंबर (सोमवार) को मुख्य पूजा है, और कल 2 सितंबर (मंगलवार) को विसर्जन होगा। शुभ मुहूर्त सुबह 5:59 बजे से शाम 6:43 बजे तक है। इस दौरान पूजा करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ध्यान रखें, पूजा ज्येष्ठा नक्षत्र में की जाती है, जो 31 अगस्त शाम 5:27 बजे से शुरू हुई थी।
ज्येष्ठा गौरी पूजा की विधि: स्टेप बाय स्टेप गाइड
ज्येष्ठा गौरी पूजा की विधि सरल लेकिन प्रभावशाली है। इसे घर पर आसानी से किया जा सकता है। यहां है पूरी विधि:
1. स्नान और तैयारी: सुबह उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
2. मूर्ति स्थापना: मां गौरी और गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। अगर मूर्ति नहीं है, तो सुपारी या हल्दी की गांठ से गौरी का रूप बनाएं।
3. कलश स्थापना: पूजा में कलश स्थापित करें और उसमें आम के पत्ते, नारियल रखें।
4. पूजा सामग्री: फल, फूल, मिठाई, चंदन, अगरबत्ती, घी का दीपक, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, दूध, दही, शहद आदि तैयार रखें।
5. मंत्र जाप: पूजा शुरू करते हुए "ओम गौरये नमः" या "ओम महालक्ष्म्यै नमः" मंत्र का जाप करें। आरती गाएं – "जय गौरी माता, जय गौरी माता..."
6. आरती और प्रसाद: पूजा के अंत में आरती करें और परिवार के साथ प्रसाद बांटें। महिलाएं गौरी की डोरी बांध सकती हैं, जो समृद्धि का प्रतीक है।
व्रत रखने वाली महिलाएं फलाहार करें और शाम को पूजा के बाद भोजन ग्रहण करें।
ज्येष्ठा गौरी विसर्जन: कल ऐसे करें विदाई
कल 2 सितंबर को विसर्जन होगा, जहां मां गौरी की मूर्ति को नदी या जल में विसर्जित किया जाता है। विसर्जन से पहले आरती करें और मां से अगले साल आने की प्रार्थना करें। यह विधि घर की खुशहाली को बनाए रखती है।
क्यों है यह पूजा भारतीय परिवारों के लिए जरूरी?
आज के दौर में जहां तनाव और भागदौड़ है, ज्येष्ठा गौरी पूजा जैसे त्योहार हमें परिवार के साथ समय बिताने का मौका देते हैं। यह न सिर्फ धार्मिक है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है। अगर आप महाराष्ट्र में हैं, तो स्थानीय पंडालों में शामिल हों, या घर पर ही मनाएं। मां गौरी की कृपा से आपका घर हमेशा खुशियों से भरा रहे!
अधिक जानकारी के लिए स्थानीय पंडित से संपर्क करें। जय मां गौरी! क्या आपने आज पूजा की? कमेंट में शेयर करें।